फिर विकल मन
चित्र् लिखित सा
ठहरा हुआ सा!
आज फिरबंसी बजी है !
फिर सुना है
आयेंगे वो
आज फिर यह भ्रम हुआ है !
हैं अकेले भीड़ में भी
हादसा यह मेरे संग हरदम हुआ है !
फिर सुना है,
फिर बजी है
बांसुरी !
बांसुरी !
30/10/12
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