सोमवार, 24 सितंबर 2012

पहचान

                                             

हमारा  जीवन हो ! पहचान 
पहचान  बने मेरा  जीवन !
अपनी धरती ,अपनी मिट्टी ,
अपना गारा ,अपना ईटा !
अपना  सांचा ,अपना खांचा ,
अपना   आशियाँ  बनायेंगे  !
हम अपने घर को बसायेंगे !
अपनी पहचान बनायेंगे !
खंडहर बने न कभी कही ,
आकाश धरा से मिले यही ,
ऐसी  एक नस्ल बढ़ाएंगे -
इक सीमा तक ले जायेंगे ,
फिर सीमा हमें  बनाएगी !
मेरी  पहचान  बताएगी  !
मेरी  पहचान  बताएगी !!

रविवार, 23 सितंबर 2012

आशीष

हर सुन्दर क्षण तुम्हे मिले, जो मैंने बुने तुम्हारे लिए !
उस सुन्दर गान में तुम रहो,जो गाये मैंने तुम्हारे लिए !
खुशिया वो सारी तुम्हारी हो, जो मैंने चाही तुम्हारे लिए !
नव सुरम्य निवास तुम्हारा हो, जैसा सपनो में मेरे था !
तुमको न मिले कंकण-कांटे,  राहें हो तेरी सदा रोशन !
तेरे पंथ बुहारे हैं,बुहारुंगी !
हर कांटे चुनूंगी दुआओं से !
खुशबू बन महको पवन के संग
मसला रहता है फूलों का !
माँ! सुनने का कर्ज़ है मुझ पर !
बा-ख़ुशी और चढ़ाउंगी !
हर चाहत, अरुणाभ सवेरा !
मेरे पुत्र तुम्हारा हो, तुम्हारा हो !!


हे अभयंकर


पाहिमाम !
मै  भूल गई नैवैद्दय तेरा !
अर्पित है तुझको 
मृत्युंजय 
जो मिला मुझे इस जीवन से ,
मेरे जीवन का हर प्याला ,आनंद निमिष का हर एक क्षण !
मेरी छोटी सी बगिया में 
जो कली  खिले ,
पुलकित -पल्लव 
बन  पुष्प तेरे चरणों में चढ़े !
हे सर्वेश्वर !
तुझको अर्पण 
हर फूल जिसे  विल् गा  न सकी 
है जहाँ खिला वही से तुझे मिले 
प्रिय फल, नलिनी ,मेरी सांसे 
तेरी करुणा के रूप हैं सब 
अक्षत, चन्दन, मंदार सुमन 
हे हृदयेश्वर !
तुझको अर्पण !
अघ नाशक है जो  विल्वपत्र 
तेरे मंदिर में लायी हूँ 
तेरी विराट अविरल  धारा 
जीवन के ताप नष्ट कर दे 
हे सोमेश्वर !
सिरसा नमामि !!!

मंगलवार, 11 सितंबर 2012

9/11/2001

इस भयानक त्रासदी को 11वर्ष  बीत गए !  हर वर्ष यह तारीख जैसे एक घाव को फिर  से दर्द देती है !
पूरी शान से खड़ा  ट्विन टावर  /सितम्बर की एक ताज़ी खुशनुमा सुबह !
9बजे चार विमान अमेरिका के आसमान पर ,
अज्ञात है उसे देखने वाले की क्या हो रहा है
बहत्तरवीं मंजिल से टकराया एक /कुछ ही मिनट दूसरा विमान टकराया
दुसरे टावर से !
ओह ! सब तरफ धुआँ, काला अँधेरा, चीखते, भागते लोग
हर कोई हताश, स्तब्ध, छितरे मानव अंग
भयानक !अबतक का सबसे भयानक और  घृणित आतंक !
लग रहा था! जब दुनिया की बड़ी ताकत नहीं बच पा रही है
तो फिर कौन सुरक्षित  है ?
पूरी दुनिया आश्चर्य में थी
विशाल टावर सूखे पत्ते की तरह जल रहा था
तभी !कुछ ही मिनट बाद
पेंटागन  की बेमिसाल इमारत
जो उपर  से स्टार की तरह दिखती है ,
मानो धरती का तारा हो
9.37 पर पश्चिमी हिस्से में तेजी से एक विमान घुसा
निचली मंजिल पर 23मीटर तक आग ही आग
पर पेंटागन के अन्य  हिस्सों में काम नहीं रुका
ओह !आह !ये क्या हुआ
जानलेवा  हालत /अकल्पनीय /अविश्वसनीय
रोती मानवता !!!
एक दशक बाद ,अपने निशा से भी मिटा आतंकी
'सील ' को सलाम !
इस हादसे में दुनिया के हर देश के लोग मारे गए
हिन्दुस्तान के भी !