मंगलवार, 10 मई 2022

मेरा शहर

 रोज सुबह मेरा शहर इंतजार करता है

ऐसे इन्सानो  की जो इसे  स्वच्छ रखते हैं 

यहाँ की प्र्कृती  को  सवारतें हैं 

इसे सुंदर व दर्शनीय बनाते हैं |

शहरी नियमों का पालन करतें हैं

ताकि इसका गौरव बना रहे |

मेरे शहर के बीच बहती 

गंगा से निकली गोमती कल कल बहती खुश रहती है 

इसके तट आशीष देते हैं उसको जो इसको साफ रखते हैं |

कभी शाम को आओ देखो आरती के आलोक को 

घंटे , शंख  और मंत्रो की गूंज सुनो देखो  उस अर्घ्य को 

जो सूर्य के ताप को  निचोड़ कर नदी मे विसर्जित कर देता है |

मेरे शहर का इतिहास गौरवशाली रहा है 

आक्रांताओ के खिलाफ हम आक्रोश रखते हैं 

लुटेरी संस्कृति  के खिलाफ हैं हम अपने शहर से प्रेम करतें हैं 

इस शहर मे मेरी पिछली औरअगली पीढ़ी रही है 

इस शहर सुख दुख दोनों दिये हैं ; दुख इतने की मैं पत्तियों की तरह टूटी 

पता नहीं ये शहर मेरे बारे मे क्या सोचता है 

शहर कुछ तू भी बोल 

शकुन्तला मिश्रा