सोमवार, 25 अप्रैल 2022

 एक तुम्हारा होना 

एक तुम्हारा होना क्या से क्या कर देता है 

बेजुबान छत , दीवारों को घर कर देता है |

जुबां तोतली , शब्द अनगढे 

फिर भी सार्थक लगता है 

बोल तुम्हारे बार बार सुनने को जी करता है |

आंखे बोले बैन सुरीले 

हाथ उठा कर सम्झना 

एक तुम्हारा होना सातो सुर भर देता है |

चितवन चंचल ,एक फांक नाक 

धीमी मुस्कान के बीच दो दाँत 

यह छवि तो मेरे  हृदय मे शिव बन रहती है |

शकुन्तला 


रविवार, 3 अप्रैल 2022

तुम आना

जब  मेघ घिरा अंबर हो  

विददुत मुस्कान बिछी हो 

तुम वारिद बन छा जाना 

तुम आना |

मैं श्रान्त पथिक रजनी की 

तुम निद्रा बन जीवन की 

इन पालको पर छा जाना 

तुम आना |

तुम नील कमल मधुवन के 

हिम तन मे बसो हृदय के 

जीवन स्पंद बनाना 

तुम आना |

क्षण क्षण असीम कोलाहल 

सुख दुख के कितने बादल 

वंशी स्वर बन मुसकाना 

तुम आना |

पथ देख रहे मेरे दृग 

भटक न जाए मन विहंग 

साँसो के होते आना 

तुम आना |


शकुन्तला मिश्रा