शनिवार, 9 जुलाई 2016

ज्योति

सुना है मैं ज्योति हूँ
पर बंधी लघु वृत्त हूँ
रोज रात जलते तारे
किसे खोजते सारे ??
ले कसक लघु ह्रदय अपने
कर रही अभिसार हूँ |
रुदन ही पथ है पिया का
गूथती आंसू हार हूँ
हूँ दबी सी आग मैं
हाँ | मौन हाहाकार हूँ मैं
कौन हूँ ? क्या कहूं मै
सुन लेखनी लाचार हूँ मैं |


shakuntla