बुधवार, 17 सितंबर 2014

हिन्द-वीं

 मैं आर्यावर्त  की हिन्दी हू ँ
इक मीठी ,सरल ज़ुबान हुँ!
भारत के कण-कण में हूँ-मैं
देशज भाषा की नानी हूँ-मैं
हर भाषाओं की दादी -मैं
ब्याकरण से पहले जन्मी मैं
हर शब्दकोश हैं बाद  मेरे
अब हर बन्दा बोले  हिन्दी
कम्प्यूटर  भी लिखे हिन्दी
उर्दू ,फ़ारसी ,संस्कृत से
ख़ुद को मैंने समृद्ध किया
आन्चलिक बोलियाँ मुझमें हैं
सबकी ज़ुबान पर मैं ही हूँ
मैं हिन्दुस्तान की "तूती "हूँ
मैं थी ,मैं हूँ और मैं ही हूँ