गुरुवार, 19 अक्तूबर 2023

भारतीय दर्शन

 दर्शन चिंतन की श्रेष्ठ अवस्था है | यह वह ज्ञान है जी हमे तत्व से अवगत कराता हैं | मोक्ष पाना ही जीवन लक्ष्य  है 

शिक्षा पाने का अर्थ भारतीय दर्शन मे यही है और यह पूर्णतः तर्क पर आधारित है |

दुनिया मे दर्शन सबसे पहले भारत मे आया ,महाभारत  मे गीता  का उपदेश दर्शन ही है जो आत्मा से जुड़ा है |

बाहरी देशों मे दर्शन बहुत बाद मे आया जैसे -सुकरात ,प्लेटो, पाइथागोरस हुए | सुकरात को उनके तर्क सिद्ध 

सिद्धांत के कारण ही फांसी दे दी गई थी लेकिन बाद मे की वर्षों के बाद उनको माना |

दूसरी ओर भारत वैदिक काल मे ही अनेकों दार्शनिकों को जन्म दे चुका था जिनमे हमारे ऋषि मुनि तो थे ही अनेकों स्त्रियाँ भी थी | भारतीय दर्शन मे अनेक स्त्रिया भी दार्शनिक हुई हैं जिनमे मुख्य हैं  अंभरिणी जो परम तेजस्विनी है ये 

उद्घोषणा करती है -मैँ ही राष्ट्री हूँ कर्तव्य का अनुभव मैंने किया है मैँ ही जीवन रूप मे सब मे प्रविष्ट हूँ |

ब्रम्ह वादिनी गार्गी ने ऋषि यज्ञवल्क्य से तर्क करके नारी की श्रेष्ठता का अप्रतिम उदहरण दिया |इसके अलावा लोपामुद्रा ,घोषा ,अपाला ,मैत्रेयी अनेकों दर्धनिक व विदुषी स्त्रिया वैदिक काल मे हुई जो नारी चेतना की ध्वज रही हैं 

ये स्त्रिया पुरुषों की पूरक रही है प्रतिद्वंदी नहीं | 

इसके बाद सातवाहन व शुंग वंश मे नागणिका ,धारिणी ,लोखाम्बा |इस तरह हमारे देश मे स्त्रियों की समृद्ध शाली 

परंपरा रही है |

दार्शनिक स्त्रियों मे हर प्रकार का ज्ञान था वे यह भी जानती थी की रसोई से ही परिवार का स्वास्थ्य कैसे ठीक रखा जाए |

ये थी हमारे भारत की स्त्रियाँ हमारे गुरुकुलों मे भी इनको शिक्षा का बराबर अधिकार था |

जब आक्रांता आए तो यहाँ पर्दा आया ,अपनी गरिमा को बचाने के लिए जौहर अपनाना पड़ा ,शिक्षा से वंचित 

होना पड़ा हमारा शैक्षिक पतन हुआ हम अपने ज्ञान को भूलते गए ||

गुरुवार, 12 अक्तूबर 2023

दरख्त की चिड़िया

 एक सूखे दरख्त पर बैठी

 एक चिड़िया ने पूछा 

कविता लिखोगी ?

मैंने कहा हाँ लिखूँगी की -

दुनियाँ निरर्थक है  यह एक बहुत बड़ा झूठ है 

वह कुछ देर मुझे देखती रही 

फिर दरख्त के  आस -पास की लताओ मे 

अपने चोंच मारने लगी 

जैसे कह रही हो चलो एकल राग मे गातें हैं 

मैं जहाँ भी हूँ . . मैँ कही भी हूँ 

तेरी याद साथ है