सोमवार, 25 अप्रैल 2022

 एक तुम्हारा होना 

एक तुम्हारा होना क्या से क्या कर देता है 

बेजुबान छत , दीवारों को घर कर देता है |

जुबां तोतली , शब्द अनगढे 

फिर भी सार्थक लगता है 

बोल तुम्हारे बार बार सुनने को जी करता है |

आंखे बोले बैन सुरीले 

हाथ उठा कर सम्झना 

एक तुम्हारा होना सातो सुर भर देता है |

चितवन चंचल ,एक फांक नाक 

धीमी मुस्कान के बीच दो दाँत 

यह छवि तो मेरे  हृदय मे शिव बन रहती है |

शकुन्तला 


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें