रविवार, 23 सितंबर 2012

हे अभयंकर


पाहिमाम !
मै  भूल गई नैवैद्दय तेरा !
अर्पित है तुझको 
मृत्युंजय 
जो मिला मुझे इस जीवन से ,
मेरे जीवन का हर प्याला ,आनंद निमिष का हर एक क्षण !
मेरी छोटी सी बगिया में 
जो कली  खिले ,
पुलकित -पल्लव 
बन  पुष्प तेरे चरणों में चढ़े !
हे सर्वेश्वर !
तुझको अर्पण 
हर फूल जिसे  विल् गा  न सकी 
है जहाँ खिला वही से तुझे मिले 
प्रिय फल, नलिनी ,मेरी सांसे 
तेरी करुणा के रूप हैं सब 
अक्षत, चन्दन, मंदार सुमन 
हे हृदयेश्वर !
तुझको अर्पण !
अघ नाशक है जो  विल्वपत्र 
तेरे मंदिर में लायी हूँ 
तेरी विराट अविरल  धारा 
जीवन के ताप नष्ट कर दे 
हे सोमेश्वर !
सिरसा नमामि !!!

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