शनिवार, 15 जून 2013

मत करना

 कभी जख्मी परिंदे का
शिकार मत करना
पनाह मांगे जो उसका
शिकार मत करना
जगत की चोट का खुलकर
 प्रचार  मत  करना
कृपा की  चाह में कोई
गुनाह मत करना
बदल सकता है दुश्मन भी
प्रथम वार मत करना
अँधेरा भी बन सकता है साथी
निराशा  स्वीकार मत करना
बड़े ताप कर्म से  मिलता है ये मानव जीवन
इसे  यूँ  ही बेकार मत करना !

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें