आकाश के उत्तर ओर एक अकेला
तारा ,अन्य तारों की अपेक्षा
अधिक चमकदार भोर मे कुछ कहता हुआ
जैसे कह रहा हो
जब चारों ओर आनंद भरी शांति हो
शांत रहो , अच्छा सोचो ,अच्छा करो
मैं तुम्हें कुछ देने आता हूँ |
तुम अंतर्मन से देखो तुम जो भी
चाहते हो उसे होता हुआ देखो
पर वही देखो जो तुम्हारे लिए संभव हो
कर के देखो वही होगा ||
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें