चलो आज बारिश से बूंदे चुरा ले ,
ज़माने के ग़म सारे उसमे डूबा दें !
अम्बर की छतरी को मंडप बना के
नवल राग ,रंगों की धरती से चुन के
चलो आज जीवन में खुशिया मना लें !
बहा देंगे अबके बरस ,सारे गम को
नदी ज्यों चले है समंदर मिलन को
पपीहे ने छेड़ा तरंगित सुरों को ,
चलो आज हम इक नए सुर में गए ले !
चलो आज बारिश से बूंदें चुरा ले !
२१/७ /१९१४
ज़माने के ग़म सारे उसमे डूबा दें !
अम्बर की छतरी को मंडप बना के
नवल राग ,रंगों की धरती से चुन के
चलो आज जीवन में खुशिया मना लें !
बहा देंगे अबके बरस ,सारे गम को
नदी ज्यों चले है समंदर मिलन को
पपीहे ने छेड़ा तरंगित सुरों को ,
चलो आज हम इक नए सुर में गए ले !
चलो आज बारिश से बूंदें चुरा ले !
२१/७ /१९१४
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