रविवार, 14 जुलाई 2013

yamini

मुखरित है प्रतिश्वास
मधुर है यामिनी की यह रात

शून्य नभ में गुंजन है आज
प्रकम्पित है सारे नक्षत्र

सुनाते युगों -युगों की बात
सजनी !अन्तर्हित पुलक है आज

विरह कल का बंदी है आज
भाव सब  रंगे रंगीले आज

तिमिर में दीवाली है आज
बनी बंदिनी भी स्वामिनी आज

नियति है कुशल चितेरा आज
भरा यह जीवन पात्र है आज !

बुद्ध पूर्णिमा पर ,भगवान् बुद्ध को समर्पितहै 





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