मुखरित है प्रतिश्वास
मधुर है यामिनी की यह रात
शून्य नभ में गुंजन है आज
प्रकम्पित है सारे नक्षत्र
सुनाते युगों -युगों की बात
सजनी !अन्तर्हित पुलक है आज
विरह कल का बंदी है आज
भाव सब रंगे रंगीले आज
तिमिर में दीवाली है आज
बनी बंदिनी भी स्वामिनी आज
नियति है कुशल चितेरा आज
भरा यह जीवन पात्र है आज !
बुद्ध पूर्णिमा पर ,भगवान् बुद्ध को समर्पितहै
मधुर है यामिनी की यह रात
शून्य नभ में गुंजन है आज
प्रकम्पित है सारे नक्षत्र
सुनाते युगों -युगों की बात
सजनी !अन्तर्हित पुलक है आज
विरह कल का बंदी है आज
भाव सब रंगे रंगीले आज
तिमिर में दीवाली है आज
बनी बंदिनी भी स्वामिनी आज
नियति है कुशल चितेरा आज
भरा यह जीवन पात्र है आज !
बुद्ध पूर्णिमा पर ,भगवान् बुद्ध को समर्पितहै
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