बुधवार, 11 अप्रैल 2012

गुजारिश

चाँद!
तू मुझे भगा कर ले चल।

तू अँधेरे को भगा देता है, ताप को शीतल कर देता है।
मैं थकी हुई, उलझी, मुझे अपने जहाँ तक ले चल।
मैंने सुख के दिन देखे, पीड़ा की रात भी काटी।
तेरी चाँदनी को समेट लूँ, तेरे साथ थोडा सा जी तो लूं।
तू मुझे भगा कर ले चल।

मैं अजब गुलाब का फूल हूँ, नहीं काँटों से कभी दूर हूँ।
तेरी चांदनी की महक बनूँ, तू मुझे भगा कर ले चल।
मेरे पास है थोड़ी जिन्दगी, रहे शान्ति से यह भरी पगी।
कोई मोड़ आए न राह में,
तू मुझे भगा कर ले चल।

चाँद!
मुझे अपने साथ ही ले कर चल।

कभी यूँ भी आ मेरे पास तू, यही राह हो, हमराह तू।
कुछ लम्हे तेरे संग झूम लूँ , तू मुझे भगा कर ले चल।
तेरे इख्तियार में क्या नहीं, मैं हूँ अदना पर तू खुदा नहीं।
कुछ देर दुनिया भुला सकूँ, तू मुझे भगा कर ले चल।
ये राज़ तुमको बताया है, हमराज़ तुमको बनाया है।
इक सच्चे प्रेमी की तरह, मेरी आन रख, आ साथ चल।
तू मुझे भगा कर ले चल।

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